सिंधु नदी की सहायक नदियां सतलुज, व्यास, रावी, चेनाब तथा झेलम

सिंधु अपवाह (The Indus Drainage System) : भारत के उत्तर-पश्चिमी भाग में सिन्धु तथा उसकी सहायक नदियाँ विस्तृत क्षेत्र को अपवाहित करती हैं। अकेले सिन्धु नदी ही हिमालयी प्रदेश में 2,50,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को अपवाहित करती है। सिंधु नदी की सहायक नदियां सतलुज, व्यास, रावी, चेनाब तथा झेलम जैसी प्रसिद्ध नदियाँ इसकी सहायक नदियाँ हैं। इनमें से झेलम पीर पंजाल से निकलती है। अन्य सभी नदियाँ हिमालय पर्वत से निकलती हैं। विभाजन के बाद इस अपवाह क्षेत्र का बहुत सा भाग पाकिस्तान में चला गया।

सिन्धु नदी (Indus River) : इसका स्त्रोत तिब्बत में 5,180 मीटर की ऊँचाई पर मानसरोवर झील के निकट है। इसे तिब्बत में सिंगी खम्बान अथवा शेर मुख कहते है l यह नदी 4206 मीटर की ऊँचाई से जम्मू तथा कश्मीर के भारतीय क्षेत्र में प्रवेश करती है। ऊपरी भागों में विशाल गॉर्ज बनाती हुई यह नदी कैलाश पर्वत को कई बार पार करती है। लद्दाख तथा गिलगित से बहती हुई एटक (Attock) के निकट यह पर्वतीय प्रदेश से बाहर निकलती है। यहाँ पर अफगानिस्तान की काबुल नदी इसके साथ मिलती है।

इसकी प्रसिद्ध सहायक नदियाँ सतलुज, व्यास, रावी, चेनाब तथा झेलम मिलकर पंचनद बनाती हैं। ये सभी नदियाँ पहले आपस में विभिन्न स्थानों पर मिलती हैं और फिर इनका संयुक्त प्रवाह मेथनकोट (Mithankot) के निकट सिन्धु नदी से मिल जाता है। सिन्धु नदी की कुल लम्बाई 2,880 किलोमीटर है। भारत में इसकी लम्बाई 1114 किमी है कराची के दक्षिण में अरब सागर में गिरने से पहले यह बहुत बड़े डेल्टे का निर्माण करती है। इसका जलग्रहण लगभग 11,65,000 वर्ग किलोमीटर है जिसमें से 3,21,290 वर्ग किलोमीटर भारत में हैं। पाकिस्तान के साथ हुए सिन्धु जल समझौते के अनुसार भारत इसका 41,950 लाख घन मीटर अर्थात् 20 प्रतिशत जल प्रयोग कर सकता है

सिंधु नदी की सहायक नदियां हिमालय पर्वत से निकलती हैं, जैसे शयोक, गिलगित, जास्कर, हुंजा, नुबरा, शिगार, गास्टिंग व द्रास। अंततः यह नदी अटक के निकट पहाड़ियों से बाहर निकलती है, जहाँ दाहिने तट पर काबुल नदी इसमें मिलती है। इसके दाहिने तट पर मिलने वाली अन्य मुख्य सहायक नदियाँ खुर्रम, तोची. गोमल, विबोआ और संगर हैं। ये सभी नदियाँ सुलेमान श्रेणियों से निकली हैं। यह नदी दक्षिण की ओर बहती हुई मीथनकोट के निकट पंचनद का जल प्राप्त करती है।

झेलम (Jhelum) : यह कश्मीर की घाटी के दक्षिण-पूर्व में 4900 मीटर की ऊँचाई पर स्थित वेरिनाग (Verinag) के निकट झरने से निकलती है। यह पीर पंजाल पर्वत में लगभग लाम्बिक दीवारों वाला 200 मीटर गहरा खड्ड बनाती है। यह नदी श्रीनगर और वुलर झील से बहते है कश्मीर में बहुत सी नदियाँ इससे आकर मिलती हैं। इसमें लिद्दर नदी ( Liddar River) महत्वपूर्ण है। मुजफ्फराबाद के बाद यह नदी भारत और पाकिस्तान के बीच 170 किमी लम्बी सीमा बनाती है। लगभग 400 किमी की दूरी तय करने के पश्चात यह नदी पर्वतीय प्रदेश को छोड़कर मैदानी भाग में प्रवेश करती है। ट्रिम्मू (Tremmu) के निकट यह चेनाब में मिल जाती है। इसकी कुल लम्बाई 724 किमी है।

pexels-photo-570026-570026-300x200 सिंधु नदी की सहायक नदियां सतलुज, व्यास, रावी, चेनाब तथा झेलम
सिंधु नदी की सहायक नदियां

चेनाब (Chenab) : यहाँ सिन्चेधु नदिकी सबसे बड़ी सहायक नदी है चेनाब को हिमाचल प्रदेश में चन्द्रभागा (Chandrabhaga) कहते हैं। चन्द्र तथा भागा सरिता से मिलकर बहती हैं जो लाहूल के बारा लाचा के दर्रे के दोनों ओर स्थित हैं। यह पीर पंजाल के समानान्तर कुछ दूरी तक पश्चिमी दिशा में बहती है और किश्तवार (Kishtwar) के निकट पीर पंजाल में गहरा गॉर्ज बनाती है। कहीं-कहीं यह गॉर्ज 1000 मीटर गहरा है। इसके पश्चात् यह अखनूर के निकट मैदान में प्रवेश करती है। मैदानी भाग में प्रवेश करने से पहले यह लगभग 330 किमी की दूरी तय करती है। इसके पश्चात् यह लगभग 640 किमी की दूरी तय करके पंचनद पहुँचती है। यहाँ पर यह झेलम तथा रावी नदियों का जल ग्रहण करने के पश्चात् सतलुज नदी के साथ मिलती है। इसकी कुल लम्बाई 1180 किमी है।

रावी (Ravi) : यह नदी भी रोहतांग दर्रे के निकटवर्ती भाग से निकलती है। धौलाधार की उत्तरी तथा पीर पंजाल की दक्षिणी ढलानों में से गुजरती हुई यह बहुत ही संकरी घाटी बनती है। चम्बा से कुछ दूर नीचे आने पर धौलाधार श्रेणी में गहरा गॉर्ज बनाती है और उसके बाद माधोपुर के स्थान पर मैदान में प्रवेश करती है। अपने उद्गम स्थान से शुरू होकर पाकिस्तान में मुलतान के निकट चेनाब नदी के साथ मिलने तक यह 720 किलोमीटर की दूरी तय करती है।

व्यास (Beas) : यह नदी हिमालय में स्थित रोहतांग दरें में 4067 मीटर की ऊँचाई पर स्थित व्यास कुण्ड में से निकलती है। यह 900 मीटर गहरा गॉर्ज बनाती हुई धौलाधार पर्वत को पार करती है। पंजाब के होशियारपुर जिले में स्थित तलवाड़ा नामक स्थान पर यह मैदानी भाग में प्रवेश करती है। इसके पश्चात् दक्षिण-पश्चिम दिशा में प्रवाहित होती है और पंजाब में स्थित हरिके (Harike) नामक स्थान पर सतलुज नदी के साथ जाकर मिल जाती है। यद्यपि यह एक छोटी नदी है जिसकी लम्बाई 460 किमी है पर यह पूर्णतया भारत में है। पूरे सिन्धु प्रवाह तंत्र में व्यास ही एक ऐसी नदी है जो पूर्णतया भारत में बहती है।

सतलुज (Satluj) : इस नदी का उद्गम स्थान तिब्बत में कैलाश पर्वत के दक्षिण में स्थित मानसरोवर झील के समीप राक्षस ताल है। यह समुद्र तल से 4,630 मीटर ऊँचा है। राक्षस ताल से निकल कर यह नदी पश्चिमी दिशा में प्रवाहित होती है और शिपकीला दर्रे के निकट हिमालय में सँकरी घाटी बनाकर भारत में प्रवेश करती है। भारत में प्रवेश करने से पहले तिब्बत के नारी खोरसन प्रदेश में यह बहुत बड़ा है। पर्वतीय क्षेत्र को पार करने के पश्चात् पंजाब में रूपनगर के निकट यह मैदानी भाग में प्रवेश करती है। रूपनगर के ऊपर नैनादेवी धार (Naina Devi Dhar) में यह गहरा गॉर्ज बनाती है जहाँ पर विश्व विख्यात भाखड़ा बाँध बनाया गया है। मैदानी भाग में प्रवेश करने के बाद पश्चिमी दिशा में प्रवाहित हैl सिंधु नदी की सहायक नदियां बहुत ही महत्वपूर्ण हैl  

भारत की प्रमुख नदियाँ

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